Russian Crude Oil Price Cap:- Europe द्वारा 5 December को लगाया जाएगा प्रतिबन्ध भारत पर इसके क्या होंगे दुष्परिणाम ?
आज हम सब एक बहुत ही बड़े मुद्दे पे बात करने वाले है , सवाल बहुत बड़ा है – 5 December को ऐसा क्या होने वाला है जिसपे पूरी दुनिया की नजर है और सब जगह इसी पे बाते हो रही है। 5 December से क्या भारत Russian Crude Oil कंपनियों से Oil खरीदना बंद कर देगा।
यहाँ यूरोपियन यूनियन अपना एक प्राइस कैप लेके आ रहा हैं जिसे बाजार में चर्चा हो रही है। यहाँ समझने वाला पॉइंट ये है की – दुनिया की सबसे बड़ी Oil रेफिनारी कंपनी “रिलायंस पेट्रोकेमिकल ” ने अपने द्वारा 5 तारीख के आर्डर रूस को नहीं दिया है , और दूसरा पॉइंट ये है की भारत की ही एक और कंपनी DPCL ने भी 5 तारीख के बाद के Oil इम्पोर्ट करने के आर्डर अभी तक नहीं दिए है।
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद यूके ने पहले ही रूसी Crude Oil का आयात बंद कर दिया है और यूरोपीय संघ December से आयात पर प्रतिबंध लगाएगा ताकि युद्ध के लिए क्रेमलिन के राजस्व को छीनने की कोशिश की जा सके
मंदी की आशंका और विश्वयुद्ध की धमकियों के बीच पश्चिमी देश कच्चा Oil खरीदने के लिए नए विकल्प की तलाश में जुट गए है हैं. रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से यूरोपीय संघ ने इस देश से Oil खरीदना कम कर दिया है ताकि आर्थिक रूप से झटका दिया जा सके. वहीं Oil उत्पादक देश अमेरिका सहित कई अन्य देश रूस के उसे अच्छा खासा राजस्व देने वाले Crude Oil पर नजर गड़ाए बैठे हैं रूस को असहाय करने की कोशीश में रूसी Crude Oil के आयात में कमी लाना पश्चिमी देशों का सबसे बड़ा मकसद है.
इसके लिए वो विश्व के अन्य देशों को भी रूस से कच्चा Oil न खरीदने की नसीहत दे चुके हैं. पश्चिमी देशों ने रूस के साथ दोस्ताना संबंध रखने वाले भारत को भी चेताया था कि वह रूस से Oil न खरीदें,
December में रूस पर प्रतिबंध लगाने की बात कर रहा यूरोपीय संघ भी इस मामले में फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है.
भारत मर्जी से खरीदेगा Oil
कुछ समय पहले ही भारत के केंद्रीय Oil और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार (8 अक्टूबर) को साफ किया था कि अपने नागिरकों की ऊर्जा जरूरत को पूरा करने के लिए उसे जहां से Crude Oil मिलेगा वो वहां से खरीदेगा. मंत्री पुरी का ये बयान ऐसी खबरों के बीच आया था जब ये कहा जा रहा था कि भारत पर रूस से कच्चा Oil न खरीदने का दवाब है. गौरतलब है पश्चिमी देशों ने रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद उससे Oil खरीदना बंद कर दिया है . इसका नतीजा ये हुआ कि रूसी Crude Oil के दाम गिर गए. इस सबके बीच रूस का Oil से आने वाले राजस्व चीन और भारत के भरोसे आता रहा. इन दोनों देशों ने रूस से कम दामों पर कच्चा Oil खरीदना जारी रखा.
Crude Oil में रूस का कद
दुनिया के नक्शे में रूस के Crude Oil उत्पादक का कद तीसरे नंबर का है. अमेरिका और सऊदी अरब के बाद रूस का ही नंबर आता है. रूस रोजाना 40 से 50 लाख बैरल कच्चा Oil निर्यात करता है. अगर रूस के प्राकृतिक गैस के निर्यात की बात की जाए तो हर साल ये आंकड़ा 8,500 अरब क्यूबिक फीट का है. यूरोपीय देश रूस से 40 फीसदी गैस तो 30 फीसदी Oil आयात करते हैं.
रूस दे चुका है धमकी
रूस ने यूक्रेन के हमले के कुछ वक्त बाद ही मार्च में पश्चिमी देशों को आड़े हाथों लिया था. दरअसल रूस के हमले के बाद ही यूरोपीय देशों ने उस पर प्रतिबंध लगाए थे और चेतावनी दी थी. तभी रूस ने इन देशों को धमकाया था कि वह जर्मनी को गैस ले जाने वाली मुख्य गैस पाइपलाइन को बंद किए जाने जैसी कार्रवाई भी कर सकता है.

क्या हैं रूसी Crude Oil के विकल्प?
आईईए ने कहा है कि December से रूस पर प्रतिबंधों के मंडराते खतरों के मद्देनजर यूरोपीय संघ को अतिरिक्त 1.4 मिलियन बैरल रूसी Crude Oil का विकल्प तलाशने की जरूरत होगी.
ऐसे में यूरोप रूस के Oil और गैस को न कहने की जल्दबाजी नहीं करेगा. यूरोप इस सप्लाई के लिए विकल्पों की खोज में है. इन विकल्पों में सबसे पहला नंबर पर अमेरिका तो दूसरा कजाकिस्तान का है. जिसमें लगभग 3 lakh बीपीडी (Bairal per day) संभावित तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका से और 4 lakh बीपीडी (Bairal per day)कजाकिस्तान से आने की संभावना है. मौजूदा वक्त में यूरोप मध्य पूर्व और अन्य जगहों से बहुत अधिक Oil खरीद रहा है.
फाइनली अभी तक कोई रेट तय नहीं हुआ है , बस बाते ही हो रही है की 5 तारीख को सब होगा तो देखना ये है की 5 को क्या होता है। BPCL ने ब्राजील की एक कंपनी के साथ Oil खरीदने की डील कर राखी है , IOCL ने भी ब्राजील और अमेरिका की एक कंपनी से Oil खरीदने की डील कर कर रखी है.
भारत एक पुरे प्रक्रिया में एक डिप्लोमेटिक विन जो क्रिएट करने में कामयाब रहा है। वो हुआ Oil की कीमतों को देश में नियंत्रित करने के लिए. अदर वाइज इस दुनिया में जितने भी देश आर्थिक रूप से परेशान है वो Oil और गैस की बढ़ती कीमतों के कारन परेशान है। फिर चाहे वो UK हो , फ़्रांस हो , जर्मनी हो , श्रीलंका और पाकिस्तान हो इन सबके सामने आज सबसे बड़ी किल्लत बढ़ते Oil और गैस की कीमत ही है।
भारत अपने कूटनीतिक नीति को अपने रास्ते में रखते हुए आज सबसे बड़े लार्जेस्ट इम्पोर्टर के रूप में रुस्सियन को रखते हुए हम लोग अपने Oil के प्राइस को मैनेज करने में कामयाब हुए है। Hopefully भारत आगे भी ऐसे ही काम अच्छे से अपने देश के हित में करते जायेगा.
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